कालू नाग और बबलू मेंढक - panchtantra ki moral education kahani in hindi

 

हिन्दी पंचतंत्र की कहानी - कालू नाग और बबलू मेंढक



पंचतंत्र की कहानियां


    कालू नाग और बबलू मेंढक - panchtantra ki moral education kahani in hindi






बीयावान जंगल में एक कुआं था। कुएं में दो मेढक परिवार रहते थे। दोनों परिवारों में काई खाने को लेकर एक बार फिर भीषण झगड़ा हुआ। इसमें  तगडू जीत गया, बदलू हार गया। बदलू ने सोचा कि तगडू के परिवार को किसी प्रकार खत्म किया जाए ताकि मेरा परिवार सुख-चैन से रहे।
में थे।  कुएं के पास ही एक पेड़ था। पेड़ को खोह में
काला नाग रहता था। वह काफी बूढ़ा था। बदलू मेढ़क उसके पास पहुंचा और बोला- कालू दादा प्रणाम!

"आओ बदलू कैसे हो?" नाग ने पूछा। क्या बताऊं दादा! तगडू ने जीना मुहाल किया हुआ है। मैं चाहता हूं कि आप उसकी अक्ल ठिकाने लगाएं।"
"लेकिन कैसे?" "मैं आपको कुएं में ले चलता हूं। वहां एक गड्ढा है। तुम उसमें छिपकर बैठ जाना। मैं उसके परिवार के लोगों को बता दूंगा और तुम उन्हें चट करते जाना।" अपनी योजना समझाते हुए वह बोला-"बुढ़ापे में तुम्हें भी खाने का सुख मिल जाएगा और मेरे दुश्मनों का खात्मा भी हो जाएगा।" "ठीक है, जल्दी लेकर चलो।" कालू दादा बेचैन हो उठा। उसके तो अब मजे ही मजे थे।
अगले दिन वह कालू दादा को लेकर कुएं में चला गया। उसने चुन-
चुनकर तगड़ के परिवार को खत्म करना शुरू किया। कुछ दिन गुजर गए। कालू दादा अब ताकतवर और हट्टा-कट्टा हो गया।
अन्त में कालू दादा ने तगडू को भी डकार लिया। अब तो
बदलू खुशी से नाचने लगा। अगले दिन वह कालू दादा से बोला-"दादा! अब तुम
जाओ। तुम्हारा काम खत्म हुआ।"
"क्या?" कालू दादा ने आंखें तरेरी-“खबरदार ! अब चुपचाप एक- एक करके अपने परिवार को भी भेजना शुरू करो वरना...।"
अब तो बदलू बुरी तरह फंस गया क्योंकि सांप ताकतवर हो चुका था। उससे वह उलझ भी नहीं सकता था। अब सर्प रोज उसके परिवार के एकाध सदस्य को खा जाता। फिर एक दिन ऐसा आया कि कालू दादा ने उसके पूरे परिवार का सफाया कर दिया। फिर वह कुएं से निकलकर जंगल में चला गया। दूसरों का बुरा करने वाले का भी ही होता है।



शिक्षा : जो दूसरों के लिए कुआं खोदता है, उसके लिए खाई
तैयार रहती है।

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