पंचतंत्र की कहानी : लोमड़ी और बैल - हिन्दी शिक्षाप्रद कहानी
चालाक लोमड़ी और बैल -
किसी जंगल में चार बैल रहते थे जिनमें घनिष्ठ मैत्री थी। वे साथ-साथ रहते, साथ-साथ घूमने जाते और साथ-साथ ही चरते थे। एक प्रकार से वे चारों दुख-सुख के साथी थे। कभी कोई जंगली जानवर उन पर हमला करता तो वे चारों उससे मुकाबला करते और उसे मारकर भगाते। पूरे जंगल में उनका भारी दबदबा था।
बैल-मित्रों के विरुद्ध शोर के कान भरती हुई मंधरा नामक लोमड़ी चीते और बाघ जैसे जानवर भी उनसे भयभीत रहते थे। सियार और लोमड़ी की भी उन पर लार टपकती थी। मंथरा नामक लोमड़ी तो हमेशा उनके विरुद्ध शेर के कान भरती रहती थी। लेकिन उन चारों का एकता बल
देखकर शेर की भी उनसे टक्कर लेने की हिम्मत नहीं होती थी। मौका पाकर उस लोमड़ी ने उन चारों बैलों में फूट डाल दी। फलस्वरूप वे परस्पर अलग-अलग रहने लगे। वे जंगल में चरने भी अलग जाते। लोमड़ी ने जाकर अपनी इस कामयाबी की सूचना शेर को दी। वह स्वयं तो
किसी बैल का शिकार करने में असमर्थ थी, मगर वह जानती थी कि यदि शेर शिकार करेगा तो थोड़ा मांस उसे भी खाने को मिल जाएगा। शेर तो था ही इसी फिराक में । उसने मौके का लाभ उठाते हुए एक-एक कर सभी बैलों को मार डाला और खा गया। लोमड़ी ने भी कई दिनों तक उन बैलों का मांसभरपेट खाया।
शिक्षा : अपने स्वार्थ के लिए कभी किसी का बुरा मत सोचो
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