धूर्त गीदड़ और हाथी की कहानी - बाल कहानियां | hindi kids moral stories 2020

hindi kids moral stories : धूर्त गीदड़ और हाथी शिक्षाप्रद बाल कहानी | बच्चों के लिए प्रेरणादायक कहानी


hindi kids moral stories : धूर्त गीदड़ और हाथी शिक्षाप्रद बाल कहानी | बच्चों के लिए प्रेरणादायक कहानी
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धूर्त गीदड़ और हाथी की कहानी


ब्रह्मवन में कर्पूरतिलक नामक हाथी था। उसको देखकर सब गीदड़ों ने सोचा, 'यदि यह किसी तरह से मारा जाए तो उसकी देह से हमारा चार महीने का भोजन होगा।

उसमें से एक बूढ़े गीदड़ ने इस बात की प्रतिज्ञा की- मैं इसे बुद्धि के बल से मार दूंगा। फिर उस धूर्त ने कर्पूरतिलक हाथी के पास जा कर साष्टांग प्रणाम करके कहा- महाराज, कृपादृष्टि कीजिए।

हाथी बोला- तू कौन है?

धूर्त गीदड़ ने कहा- सब वन के रहने वाले पशुओं ने पंचायत करके आपके पास भेजा है, कि बिना राजा के यहां रहना योग्य नहीं है, इसलिए इस वन के राज्य पर राजा के सब गुणों से शोभायमान होने के कारण आपको ही राजतिलक करने का निश्चय किया है। जो कुलाचार और लोकाचार में निपुण हो तथा प्रतापी, धर्मशील और नीति में कुशल हो वह पृथ्वी पर राजा होने के योग्य होता है।

राजानं प्रथमं विन्देत्ततो भार्या ततो धनम्।

राजन्यसति लोकेsस्मिन्कुतो भार्या कुतो धनम्।।

पहले राजा को ढूंढ़ना चाहिए, फिर स्री और उसके बाद धन को ढूंढ़े, क्योंकि राजा के नहीं होने से इस दुनिया में कहां स्री और कहां से धन मिल सकता है?

राजा प्राणियों का मेघ के समान जीवन का सहारा है और मेघ के नहीं बरसने से तो लोक जीता रहता है, परंतु राजा के न होने से जी नहीं सकता है।

इस राजा के अधीन इस संसार में बहुधा दंड के भय से लोग अपने नियत कार्यों में लगे रहते है और न तो अच्छे आचरण में मनुष्यों का रहना कठिन है, क्योंकि दंड के ही भय से कुल की स्री दुबले, विकलांग रोगी या निर्धन भी पति को स्वीकार करती है।

इसलिए लग्न की घड़ी टल जाए, आप शीघ्र पधारिए। यह कह उठकर चला फिर वह कर्पूरतिलक राज्य के लोभ में फंस कर गीदड़ों के पीछे दौड़ता हुआ गहरी कीचड़ में फंस गया।

फिर उस हाथी ने कहा- 'मित्र गीदड़, अब क्या करना चाहिए? कीचड़ में गिर कर मैं मर रहा हूं। लौट कर देखो।'

गीदड़ ने हंस कर कहा- 'महाराज, मेरी पूंछ का सहारा पकड़ कर उठो, जैसा मुझ सरीखे की बात पर विश्वास किया, तैसा शरणरहित दुख का अनुभव करो।

यदासत्सड्गरहितो भविष्यसि भविष्यसि।

तदासज्जनगोष्ठिषु पतिष्यसि पतिष्यसि।।

जैसा कहा गया है- जब बुरे संगत से बचोगे तब जानो जिओगे और जो दुष्टों की संगत में पड़ोगे तो मरोगे।

फिर गहरे कीचड़ में फंसे हुए हाथी को गीदड़ों ने खा लिया।




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