Hindi kahaniyan shekhchilli - बेचारा शेखचिल्ली

 

बेचारा शेखचिल्ली

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नाग और मेंढक की कहानी 



एक बार शेखचिल्ली बीमार हो गया तो वैद्य के पास गया । वैद्य ने उसे दवा देकर कहा कि दो-चार दिन खिचड़ी खाना। शेखचिल्ली ने खिचड़ी का नाम पहले कभी नहीं सुना था । उसने सोचा कि कहीं भूल न जाऊं इसलिए रास्ते भर खिचड़ी का नाम रटते हुए चलना चाहिए। वैद्य को सलाम करके 'खिचड़ी-खिचड़ी' कहता हुआ वह वहां से चल पड़ा। कुछ दूर चलकर वह खिचड़ी का नाम भूल गया और 'खाचिड़ी- खाचिड़ी' कहते हुए बड़ी मौज में चलने लगा। थोड़ी ही दूर एक किसान का खेत था । उसने शेखचिल्ली को 'खाचिड़ी-खाचिड़ी' क्रहते सुना तो सोचा कि शेखचिल्ली चिड़ियों से मेरा खेत चुगने को कह रहा है। अत: उसने आव देखा न ताव, उसके चार-पांच डण्डे जड़ दिए।
भाई! बताओ तो मैने क्या अपराध क्या है ? "जिस तरह तू चिड़ियों को 'खाचिड़ी-खाचिड़ी' कह रहा था, अब 'उड़चिड़ी-उड़चिड़ी' बोल, नहीं तो मार-मारकर ढेर कर दूंगा।" किसान बोला। शेखचिल्ली हाथ जोड़कर बोला कि ठीक है, ऐसा ही होगा। फिर वह 'उड़चिड़ी-उड़चिड़ी' बोलने लगा। रास्ते में एक शिकारी जाल फैलाए बैठा था। उसने शेखचिल्ली को 'उड़चिड़ी' कहते सुना तो वह कोड़ा लेकर शेखचिल्ली पर बरसाने लगा। कोड़ों की मार से उसे छठी का दूध याद आ
गया। उसने शिकारी से पूछा-" भाई ! मैंने तुम्हारा क्या बिगाड़ा है?" "यदि तू 'उड़चिड़ी' के बदले 'फंसचिड़ी' बोलेगा तो कहीं मार नहीं खाएगा।" शिकारी बोला।
शेखचिल्ली अब 'फंसचिड़ी-फंसचिड़ी' कहता हुआ चला जा रहा था कि कुछ चोर उसे चोरी करके आते रास्ते में मिले। उन्होंने उसे 'फंसचिड़ी- फंसचिड़ी' कहते सुना तो उसे पकड़कर एक पेड़ से लटका दिया और डन्डों
से खूब पिटाई की। शेखचिल्ली मार खाकर बेहोश हो गया। जब वह होश में आया, तब तक चोर वहां से रफूचक्कर हो चुके थे।



शिक्षा : मूर्खतापूर्ण बातें भी कभी-कभी बड़ी दुखदायी सिद्ध होती हैं।

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