हिन्दी कहानियां - कुत्ता और गधा Short moral panchtantra story for kids

हिन्दी कहानियां - कुत्ता और गधा Short moral hindi panchtantra story for kids  



पंचतंत्र की कहानियां - कुत्ता और गधा -


हिन्दी कहानियां - कुत्ता और गधा Short moral panchtantra story for kids
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 कुत्ता और गधा 



एक धोबी ने एक गधा और एक कुत्ता पाल रखा था। धोबी सुबह - सुबह गधे पर कपड़े लादकर और कुत्ते को साथ ले घाट पर पहुंच जाता। घाट पर धोबी कपड़े धो - धोकर सुखाता और कुत्ता उनकी रखवाली करता जबकि गधा सारे दिन पेड़ की छाव में खड़ा घास चरते रहता। दिन ढलने पर धोबी वापस आ जाता।


एक रात धोबी के घर चोर घुस आया। आहट पाकर कुत्ते ने उसकी तरफ देखा, फिर मुंह फेरकर सो गया। दोनों घर के आंगन में ही थे। गधा खूंटे से बंधा था, कुत्ता चारपाई के नीचे से रहा था। चोर के आने पर भी गधे ने कुत्ते को मुंह फेरकर सोते देखा तो वह क्रोधित होकर बोला - " अरे ओ नमक हराम! देखता नहीं मालिक के घर में चोर घुस आए हैं। भोंकता क्यों नहीं " 




"अरे काहे का मालिक! और तूने मुझे नमक हराम क्यों कहा? वो अगर मुझे खिलाता है तो मै भी सारा दिन घाट पर उसके कपड़ों की रखवाली करता हूं। जो कुत्ते दिन में सोते हैं, वहीं रात में रखवाली करते हैं। अगर मालिक को मुझसे रात में रखवाली करवानी होती तो मुझे दिन में आराम करने का मौका देता। क्या इतनी सी बात भी वह नहीं जानता।"


गधे ने कहा - जब तूने चोर को देख लिया है तो तुझे भौंकना चाहिए।

कुत्ता बोला -  मैं भोंकू या न भोंकू, यह मेरा काम है। तू क्यों परेशान हो रहा है। तू आराम से खड़ा रह।


"तू कुत्तों के नाम पर कलंक है। अपने मालिक का घर लुटवाना चाहता है, मगर में ऐसा हरगिज नहीं होने दूंगा।" गधे ने कहा। फिर जोर - जोर से ढेंचू - ढेंचू करने लगा।



कुत्ता आराम से सो रहा था। अंदर मालिक बड़ी ही प्यारी नींद के रहा था। जैसे ही उसने  ढेंचू - ढेंचू की आवाज सुनी , उसकी नींद उचट गई । उसे बहुत गुस्सा आया। वह क्रोध करता उठा , कोने में रखा डंडा उठाया और बाहर आकर गधे को ताबड़तोड़ पीटने लगा। गधा अपनी बात कहने की कोशिश करने लगा। मगर मालिक कहां सुनने वाला था।


उसकी अच्छी खासी मरम्मत करके वह फिर से सोने चला गया। गधा बेचारा कोने में गिरकर आंसू बहाने लगा। तभी कुत्ता उठकर उसके करीब आया और बोला - " कुछ अक्ल आई गधे भैया! बुजुर्गों ने ठीक ही कहा है, जिसका काम उसकी को साजे , दूजा करे तो डंका बाजे।"





शिक्षा - जिसका जो काम हो , उसे वही करना चाहिए। अन्यथा नुकसान ही होता है।





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